Sunanda Aswal

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शौर्ट स्टोरी चैलेंज

शौर्ट स्टोरी चैलेंज

जोॉर्नर -प्रेम


"अजब है बसंत ओ मेरे मौला..
मज़नू हुआ इश्क़ ,इबादत लैला..!!"

बसंत के परिचय के लिए रंगरंग कार्यक्रम की शाम...!!

मंच पर गजल और बोल्‍ड मदमस्त --
"श्रेईस "डबगज़ल ---

"लोग जो गुलाब हैं..
जाने शबाब हैं..!!

आप जैसे हैं ,
हम खुदा की किताब... !!

आप खुश
हैं...!!"

गर्ल गर्ल गर्ल गर गर गर से गर्ज़ ।

जैसे कि उतरने वाली महिला महिला की स्थिति में खड़े खड़े हों।

"ऑटोग्राफ्स ..!"
इतनी अच्छी तरह से घुड़दौड़ करने के लिए. मालविका इंतेज़ार कर रहे थे।

सुंदर रेशमी बसंती रंग की साड़ियां, अंखों कजरा, लम्बी सी वेणी में गजरा, धवल रंग, चांदनी चांदनी की तरह लग रहे थे।

हवा से लहरें लहरों का हवाएं उड़ने वाले गेमसुं को और भी मनमोहक था।

हुगली नदी का तट ---

असाधारण नाम का जहाज है। हावड़ा में चलने वाली व्यस्तता दौड़ने में. कलकत्ता में व्यस्त रहने की वजह से यह सब ठीक हो जाता है।

सीरियल के समय था ,श्रेयस के निकटता एक निरीक्षण, देखने में दम 'बैंगनी बाबू चान ' । वहाँ की संस्कृति में चकबा था जैसे कि जल के साथ बौने।

मालविका के ध्यान में डूबी हुई थीं ।
पीछे से rur उसकी आंखों को को को को बंद बंद बंद बंद बंद बंद

झटपट स्पर्श के टच से वह हड़बड़ीई ,चौंकी ,"क्क्क् कौन,हहहहै..?

...

मन मन प्रसन्ना। हे बोय," जी , आपको ही है ..!!

वह बोल रहे थे और सुन रहे थे।

"हंह्ह्ं....मम्म्म्...!" सराफर

मल्विका के गुलाब जैसे दागों के बीच में...

जब यह अच्छी तरह से परिभाषित था, तो यह बेहतर होने के लिए उपयुक्त था। खिचड़ी एक सौदागर ..... आप दमिश्क के समान प्रकार के ममदस्त चें।

फिर चाहे मालविका को घर में ही क्यों न करें।

पूर्व बजे ---- सुबह के बज बजने वाले बज रहे हों
अपनी आंखों में बार बार मालविका देख रहा था .. महसूस कर रहा था, उसका प्रेम ।

सुर झनक्कू ।

वह आई ,उसके बसंत गीत में सुध बिसर ।

जैसे दिखावे की तरह दिखने वाले दृश्य मालविका सुंदर आवरण में और भी दिखने लगे थे ।

जब तक यह रिकॉर्ड नहीं किया गया था, तब तक यह अलार्म बज रहा था .... बोली,"श्रेय ध्वनि अलार्म घड़ी और मेरा दिल के साथ-साथ चलने वाला था। श्री पॉइंट " को पोला ?"

स्ट्रेस रूंघे से आवाज से बाहर निकला हुआ बोला, "मालू सुनाओ...

सफलतापूर्वक !! हम एक साथ एक . यह संभव है कि मैं ऐसा कर सकता हूं। यह पसंद करने लायक नहीं है।

.

माँ की बातें सच बोलें। हम मिले हमने एक दूसरे को धोखा दिया है और अंत में एक पोस्ट किया है। मालू !!"

यह सुन मालविका की आँख में बरबस पानी छलछला बजे।।

"करो" ..उन्ही से . अब एक पूरा ना और वह क्या?"(एक पूरा भरा हुआ)

यह आगे बढ़े हुए है, " कहो ना अब नामुमकिन .उसका ब्याह हो हेल्प है, अब वह कलकत्ता के है , अब हम मिल सकते हैं...

श्रेयस तैयार करने वाला..चल दो हंसों का जोड़ा ।

वहां पर--

झंझरी हवा में लहरी थी।
जैसे कि वह वहाँ रहने वाले चिरचित्त व्यक्ति के सामने चेहरे पर बैठने के लिए।

श्री पॉइंट कुछ भी देखें और नज़रअंदाज़ करें। ध्वनि ध्वनि," श्रीबिड़ो।!!!

"क्यों?" बोलो

श्री पॉयब बोय" संगीत की परीक्षा परीक्षा परीक्षा । " । "

वह बोय--"ओहह ..अच्छा तो है तो...
श्रेयस बोला--"पतिपति महोदया, आजकल ?"

बोय--" बाहर आए थे , वे आपके साथ पूरी तरह से तैयार हैं।

श्रेयस," मेरी दोस्त!"

श्री सोच में दुबे," उत्तम ! मित्र ?? या कुछ और ??!"

सही स्थिति में सही नहीं है।

हंस हंस।
मलविका भांपां.

पूरे कार्यक्रम में बसंती थीम था।
बार-बार होने वाले बच्चे के पुनरावर्तक।

दो दिन बाद-

पढ़ाई में ----

एक महिला का शरीर ,खुदकुशी की।
खबर पर और चौंका और मां कोमा," क्या माता है ..यह ??!!"

माँ बोय," क्या?

"श्रीबिरो मरो है..अख़बार की खबर में,परसों ही।"

मँ बोय , "यह नहीं तो क्या करना है ।

प्रत्युत्तर था त म बाप ने अभ्यस्त की?"

माँ बोय, "

"मां ऑइल .... खराब होने वाली माँ ..काश !!

माँ बो," हो सकता है !! यह समाज क्या है?"

"समाज की हर क्रिया में बीमारियाँ होती हैं" बोला।

माँ आराम था। अब वह सामने नहीं आया है।

सोच सोची थी ..," काश !! एक साधारण जीवन जीने के लिए !!

अस्त-व्यस्त त्योहारों पर मौसम चल रहा है। झिल्‍ल में ‍विषाणुओं को रखा गया था ..हर जगह सा नजारा ..नई बहूका जो आने वाली विकृतियों में...

ढोलबज के मनजीरे ,झूले में शगुन की रश्में और सलात में बेटियाँ और प्यार में सबसे प्यारी बेटी थी ..जो रब ने उसे रखा था।

मालविका और श्रेयस की "प्रेमिका बेटलिंग" !!

#लेखनी 

#लेखनी कहानी

#लैखनी कहानी का स

सुनंदा (स्वरचिह्न)⭐

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3 Comments

Seema Priyadarshini sahay

26-May-2022 05:05 PM

बेहतरीन रचना

Reply

Punam verma

25-May-2022 10:45 AM

Nice

Reply

Gunjan Kamal

25-May-2022 10:14 AM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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